कोविद-19 पर विशेष लेख -
अब भी समय है विदेश से आए लोगों की पूरी जांच हो हमारे देश में 18 जनवरी से 23 मार्च की अवधि में करीब 15 लाख से अधिक लोग विदेशों से आए। इन सभी लोगों की पूरी सख्ती से हवाई अड्डों पर जांच नहीं की गई। इसके अलावा इनको क्वारंटाइन में भी नहीं रखा गया। इस अक्षम्य लापरवाही का नतीजा बहुत ही गंभीर हुआ और 130 करोड़ लोग 21 दिन के लिए अपने घरों में बंद होने को मजबूर कर दिए गए हैं। जबकि हम इन 15 लाख लोगों की पूरी जांच कर और क्वारंटाइन कर 130 करोड़ लोगों को आसानी से बचा सकते थे। अब भी समय है की इन विदेश से आने वाले लोगों का डाटा निकाल कर सख्ती से जांच कर इनको और इनके परिवारों को क्वारंटाइन में रखा जाए।
अब केंद्र ने राज्यों से कहा है कि विदेशों से जो भी लोग भारत आए हैं उन पर निगरानी रखी जाए। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों से कहा है कि ऐसा लगता है कि कोरोना वायरस को लेकर हो रही वास्तविक निगरानी और विदेश से आए कुल यात्रियों में एक बड़ा अंतर है। अब तक भारत में कोरोना वायरस के जो मरीज सामने आए हैं उनमें से कई का विदेशी यात्रा का इतिहास रहा है। इन यात्रियों की निगरानी का अंतराल कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई की मुहिम के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। ऐसे में विदेशों से आए सभी यात्रियों की निगरानी की जानी चाहिए।
संक्रमण छिपाना पड़ेगा भारी
हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि विदेशों से आने वाले कुछ यात्री अपना संक्रमण छिपाने के लिए थर्मो जांच से पहले पैरासिटामॉल की दवाएं ले रहे थे। डॉक्टरों की मानें तो संक्रमण को छिपाने का यह काफी खतरनाक तरीका है, क्योंकि पैरासिटामॉल से चार से छह घंटे तक बुखार को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे लोग समाज और देश से विश्वासघात करते हैं।
यह बीमारी बहुत ही खतरनाक है। इसका अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि अब तक कोविड -19 से 37,815 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है। पूरी दुनिया के करीब 195 देशों के 7,85777 से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित है।