मुख्यमंत्री जगन रेड्डी ने किया ऐलान
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नई दिल्ली: पिछले साल नवंबर में, जगन मोहन रेड्डी सरकार ने आंध्र प्रदेश के विवादास्पद विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास अधिनियम, 2020 को निरस्त कर दिया था, जिसका उद्देश्य राज्य के लिए तीन राजधानियां बनाना था.
यानी अब अमरावती नहीं विशाखापत्तनम आंध्र प्रदेश की राजधानी होगी. मार्च में विशाखापत्तनम में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी की बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि वह आने वाले महीनों में बंदरगाह शहर में अपना कार्यालय स्थानांतरित करेंगे.
जगन मोहन रेड्डी ने अपने ट्विटर हैंडल पर इसका वीडियो भी शेयर किया. उन्होंने बताया कि 3-4 मार्च को विशाखापट्टनम में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मैं आप सभी को पर्सनली इसके लिए आमंत्रण देना चाहता हूं.
जगन मोहन रेड्डी ने कहा, मैं आप सभी को और आपके साथियों को यह दिखाने के लिए आमंत्रित करता हूं कि आंध्र प्रदेश में बिजनेस करना कितना आसान है.
इससे पहले जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने 2020 में विधानसभा में राज्य के सभी इलाकों के समग्र विकास के लिए कानून पारित किया था. इस कानून में आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियों की बात कही गई थी.
इसके मुताबिक, आंध्र प्रदेश की कार्यपालिका यानी सरकार विशाखापट्टनम से काम करेगी और राज्य विधानसभा अमरावती में होगी और हाईकोर्ट कुर्नूल में होगा.
2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना राज्य बना था. तब आंध्र प्रदेश पुनर्गठन में प्रावधान किया गया था कि हैदराबाद 10 साल तक आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों की राजधानी रहेगी. इसके बाद आंध्र प्रदेश में राजधानी के लिए जगह खोजनी शुरू हुई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को नई राजधानी चुना था. 2015 में पीएम मोदी ने अमरावती के नई राजधानी के निर्माण के लिए बुनियाद रखी थी. इसके बाद तेजी से वहां विकास कार्य होने लगे.
लेकिन 2019 में राज्य में सत्ता बदली. जगन मोहन रेड्डी के सरकार में आने के बाद अमरावती में विकास कार्य रोक दिए गए. रेड्डी सरकार ने नई कमेटी का गठन किया. इसके बाद उन्होंने संकेत दिए थे कि उनकी सरकार तीन राजधानियों के मॉडल पर विचार कर रही है.
Now this city will become the capital of Andhra Pradesh, not Amaravati
Chief Minister Jagan Reddy announced